बुधवार, 9 सितंबर 2009

नारी ;

नारी के बिना नर अधुरा नर के बिना नारी,
दोनों संग संग ,साथ निभाते दुनियादारी ,
नारी न हो इस दुनिया मे तो सूनी हो जग सारी ,
गोरी हो या कारी,इस दुनिया की श्रृंगार है नारी ,
अगर न हो ,इस जग मे नारी ,हो जाए जीवन भारी,
नर और नारी मिलकर ही ,रचते दुनिया सारी ,
अपना अपना कर्म निभाते ,दोनों आरी पारी ,
पत्नी है नारी ,माँ भी तो hai नारी ,
फिर क्यो कहते नारी को ,आफत है सारी ,
अगर न हो नारी तो जीवन हो जाए भारी ,
नारी नही तो नर नही ,नर नही तो नारी,

3 टिप्‍पणियां:

Mithilesh dubey ने कहा…

बहुत खुब माया जी। शानदार प्रस्तुती

शरद कोकास ने कहा…

आपके विचार बेहद अच्छे है लेकिन तुक मिलाने के चक्कर मे बहुत कुछ छूटता जा रहा है । क्रपया इस ओर ध्यान दें । शरद कोकास ,दुर्ग छ.ग.

फ़िरदौस ख़ान ने कहा…

बहुत खूब...