शनिवार, 8 नवंबर 2008

तुलसी विवाह

t; eka rqylh

rqylh eka dh efgek ftruh xk;h tk;as mruh gh de gSA eka rqylh dk fookg lkfydjke th ds lkFk gqvk Fkk ekuk tkrk gS fd rqylh eka usa riL;k dj fo".kw Hkxoku ls vkf'kZokn fy;k FkkA ekuk tkrk gS fd nsomBuh ds fnu lkjsa nso tkx tkrsa gSA pkj ekg lsa lks;s gw, nso ds tkxusa ij gh fgUnw /keZ esa 'kqHk dk;Z dk vkjEHk gksrk gSA bl fnu ds ckn lssa yksx 'akqHk dk;Z djus yx tkrss gSA blds ckn gh fookg dk dk;Z Hkh vkjEHk gks tkrk gSA rqylh fookg dks nsomBuh Hkh dgk tkrk gSA vFkkZr nsoks ds tkxus dk fnu]

आबादी के अनुपात मे महिलाओ को टिकिट क्यो नही देती पार्टिया

छत्तीसगढ़ मे आम चुनाव हो रहे है किंतु यंहा के राजनितिक फिजा पर महिलाओ की मौजूदगी नही दिख रही है , कुछ गिने लोगो को टिकिट दी भी गई है तो उनकी पारिवारिक प्रष्ठभूमि के आधार पर, कुछ नेत्रिया तो ऊपर से थोप दी गई है राजनितिक सामाजिक रूप से छत्तीसगढ़ की महिलाओ की जागरूकता छिपी नही है सवा सहायता समूह माइक्रो फाइनेंस के क्षेत्र मे यंहा की महिलाओ ने काम किया है कुछ को राष्ट्रीय पुरुस्कार भी मिला है लेकिन इन सबके बावजूद राजनेताओ द्वारा अनदेखी किया जन यंहा की राजनितिक फिजा को नही समझने का नतीजा है

सोमवार, 3 नवंबर 2008

विधानसभा चुनाव महिलाओ की उपेक्षा क्यो

जिस तरह से राजनीतिक दल महिला मुद्दे पर मुखर होते वासी ही मुखरता टिकिट वितरण के समय नही दिखाते छत्तीसगढ़ मे जिस तरह से टिकिट वितरण मे महिलाओ को उपेक्षित किया गया है वह निंदनीय है उससे भी चिंता जनक बात तो यह है जिन दो चार महिलाओ को टिकिट मिला भी है वे महिलाओ का प्रतिनिधित्व न करके परिवार का प्रतिनिधित्व कर रही है

सोमवार, 20 अक्तूबर 2008

फूलबासन बाई को जमुनालाल बजाज पुरुस्कार

छत्तीसगढ़ की स्वसहायता समहू गठित कर प्रेरक कार्य कने हेतु चर्चित महिला फूलबासन बाई को जमुना लाल बजाज पुरुस्कार प्रदाय किया जाना निश्चित ही सुखद समाचार है बिना किसी आर्थिक संसाधन के ग्रामीणों को जोड़कर महिला सशक्तिकरण के लिया किए गए कार्य का सम्मान उन्हें प्राप्त हुआ है राज्नाद्गओं जिला महिला समूहों के गठन ओउर उत्प्रेरक कार्य करने के लिए अग्रणी रहा है जिसमे फूलबासन बाई के योगदान को नाकारा नही जा सकता।

शुक्रवार, 19 सितंबर 2008

इंडिया पोस्ट की speed post की speed :durg

पोस्ट आफिस दुर्ग post office durg मेभर्राशाही छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले मे स्थित प्रधान डाक घर अव्यवस्था की गिरफ्त मे है। किसी समय पोस्ट आफिस की साख ऐसी थी की लोग डाकिया को अपने रूपये पैसे जमा कराने हेतु दे दिया करते थे , लोग बेसब्री से डाकिया के आने का इन्तजार करते थे किंतु आज स्थिति अत्यंत भयावाह है पोस्ट आफिस मे आपके द्वारा जमा किए गए पैसे भी सुरक्षित है अथवा नही आप कुछ कह नही सकते । दुर्ग के प्रधान डाक घर मे आए दिन आम जनता के साथ दुर्व्यवहार यंहा के कर्मचारियों द्वारा किया जाना आम बात हो गई है , विभिन्न पदों के लिए बेरोजगार युवा बड़ी संख्या मे आवेदन भेजते है लेकिन समय पर डाक नही मिलने के कारण कई अभ्यर्थी भर्ती के अवसरों से वंचित हो जाते है , हलाकि अब डाक घरो मे कंप्यूटर की सुविधा भी दे दी गई है किंतु काम करने की गति उनकी पहले से भी कम हो गई है घंटो लोगो को लाइन मे खडा करके रखते है ओउर बाद मे कभी लंच का टाइम तो कभी अवकाश का टाइम का बहाना करके लोगो को परेशान करते है , आख़िर लोग थक हार कर निजी कोरियर कम्पनी की सेवा लेना पसंद करते है । कंही इन सब कारणों के पीछे निजी कम्पनियों को फायदा पहुचने की तो नही है ? लोगो मे डाकघर के प्रति रोष बढ़ता ही जा रहा है डाक घर जिला कार्यालय के नजदीक होने के कारन दूर दराज से आए ग्रामीण भी घंटो कतार मे खड़े दिख जाते है डाकघर के कर्मचारी बड़ी हिकारत के साथ अह्सहानुभुती पूर्वक व्यवहार करते है । डाक घर की साख कितनी कम हो गई है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की लोगो मे डाकघरों की जमा योजनाओ के प्रति भी विश्वास नही रहा है और प्रतिवर्ष जमा के आंकडे कम से कम होते जा रहे है , चाहे वह nsc हो या rd या beema सभी मे लोग दूर होते जा रहे है ।अभिकर्ताओ के साथ भी यही रवैया किया जा रहा ओउर कमीशन देने को बाध्य कर रहे जिसके कारन उनमे भी रोष है किंतु चुपचाप सहते जा रहे है । बड़े अधिकारी यदि इस और ध्यान नही देंगे तो जनता का रोष किसी भी दिन विस्फोटक रूप ले सकता है हो सकता है की लोग कर्मचारियों के दुर्व्यवहार के कारन फर्जी बचत कम्पनियों की तरफ़ आकर्षित हो ओउर अपनी जमा पूंजी गँवा बैठे अतएव तत्काल अधिकारियो को कड़े कदम उठाकर निकृष्ट कर्मचारियों को दण्डित करना चाहिए ओउर साथ ही डाक घरो के स्टाफ को ग्राहकों आमजनता के साथ किस तरह से व्यवहार करना चाहिए का प्रशिक्षण दे ताकि निजी कोरियर की अपेक्षा डाक घर भी आम जनता के साथ सम्मान के साथ पेश आए

गुरुवार, 26 जून 2008

तीन संतानों वाले भी अब चुनाव लड़ने हेतु पात्र

राज्य शासन ने एक महत्वपूर्ण फैसले लेते हुए पंचायत चनाव लड़ने हेतु दो से अधिक संतानों वालो पर लगी बंदिश हटा दी है और अब पूर्ववत वे चुनाव लड़ने पात्र हो जायेंगे, पहले नियमानुसार २६ जनवरी २००१ के पश्चात् जिनके दो से अधिक बच्चे हुए है उन्हें पंचायत चुनाव लड़ने की पात्रता नही थी, इस फैसले के आधार पर अब फिर से जनता मे नियोजित परिवार अपनाने के सम्बन्ध मे ग़लत संदेश जाएगा,क्योकि बढती जनसँख्या रोकने के लिए यह नियम अप्रत्यक्ष रूप से जनता को नियोजित परिवार अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही थी।

सोमवार, 23 जून 2008

छत्तीसगढ़: नारी जागरण मे अग्रणी

छत्तीसगढ़ प्रदेश छोटा नवगठित प्रदेश होने के पश्चात् भी आज नारी जागृति की क्षेत्र मे कही आगे है,स्वसहायता समूह एवं अन्य छोटे छोटे संगठन के जरिये दस बीस महिलाये समूह बनाकर महिलाये अनेको कार्य कर रही है,जैसे मछली पालन ,सामूहिक कृषि,एवं अपने सदस्यों को ऋण प्रदाय करने का कार्य वे बखूबी कर रही,दुर्ग जिले जहा इसे दीदी बैंक के नाम से जाना जाता है वहीराजनादगांव मे बम्लेस्वरी समूह के नाम से जाना जाता है, इन के कार्य का दायरा भले ही छोटे हो लेकिन इनके द्वारा समूह के जरिये स्वालंबन का जो पाठ पढाया जा रहा वह महत्वपूर्ण है।

शनिवार, 21 जून 2008

नारी ; आदिवासी संस्कृति

आदिवासी संस्कृति मे नारी की स्थिति अन्य संस्कृतियों की तुलना मे पुरूष के साथ समानता का है,छत्तीसगढ़ मे भी यही स्थति है यहाँ की बहुतायत संख्या मे पाई जाने वाली जाति गोंड हल्बा,मरिया,उरांव ,कंवर ,बैगा,कमार,भतरा आदि सभी समाज मे सामुदायिक कार्यो मे नारी को बराबर का अधिकार है,तथा यहाँ दहेज़ कन्या भ्रूण हत्या जैसी बुराईया भी नही है,आदिम समाजो मे महिला को विवाह से वर चयन ,तथा किसी कारण विवाह के असफल होने पर पुनर्विवाह आदि मे भी अधिकार प्राप्त है,चूँकि आदिम समाज वन संपदा पर आधारित है

मंगलवार, 17 जून 2008

नारी शक्ति का उदय

आज के भारत मे इससे बड़ी गर्व की बात क्या होगी जब देश के सर्वोच्च पद पर एक महिला विराजमान है,देश के सबसे बड़े दल की नेता भी एक महिला है वही देश की सबसे अहम् प्रदेश की मुख्यमंत्री भी एक महिला है,अमेरिका जैसे आधुनिक देश मे भी जो अवसर महिलाओ को नही मिला वह भारत मे मिल रहा है,यह हमारे लिए फक्र की बात है,परम्परा और आधुनिकता के बीच जितना सुंदर समन्वय भारत की महिलाओ ने दिखाया है वह अदभुत है,

शुक्रवार, 13 जून 2008

छत्तीसगढ़ की नारी


छत्तीसगढ़ मे महिलाओ की स्थिति तुलनात्मक रूप से अन्य प्रदेशो की तुलना मे कदाचित बेहत्तर है,यहाँ की ग्रामीण महिलाओ को पुरुषो के साथ कंधे से कन्धा मिला करे काम करते देखा जा सकता है। जैसे छत्तीसगढ़ की संस्कृति मे सामंजस्य समन्वय का गुण है वैसे ही पुरूष एवम महिलाओ मे एक सामंजस्य नजर आता है,न यहाँ पर बहुत ज्यादा परदा प्रथा है न ही ग्रामीण समाज मे कन्या भ्रूण हत्या जैसे पाशविक कृत्य की परम्परा ,खेती किसानी के कामो को बाट कर करते है जहा पुरूष हल चलते नजर आयेगे वही महिलाए निन्दाई गुडाई जैसे कामो मे हाथ बटाती है, यहाँ के ग्रामीण समाज मे दहेज़ का प्रचलन भी अपेक्षाकृत कम है शहरो मे भले ही दहेज़ उत्पीडन की घटनाये सुनाई दे किंतु गाव मे इस तरह की घटनाये नही होती ,पारम्परिक आदिवासी समाजो ,मे जो सुदूर बस्तर से अम्बिकापुर तक फैले हुए है ,मे महिला पुरूष के बीच सांस्कृतिक पारिवारिक समनवय और अधिक मजबूत दिखायी देता है । छत्तीसगढ़ मे स्व सहायता समूह की सफलता भी यह दर्शाती है कि यहाँ की महिलाओ मे विकास के प्रति एक ललक है और वे अपने समाज परिवार राष्ट्र के प्रति संवेदनशील है ।

बुधवार, 11 जून 2008

संसद के द्वार मे महिलाये

हाल ही मे संसद के राज्यसभा मे प्रस्तुत महिला आरक्षण विधेयक से निःसंदेह महिलाओ को संसद के द्वार तक पहुचने मे सफलता मिलेगी,आधी से अधिक आबादी के प्रतिनिधित्व के लिए यह जरुरी भी था,पित्रसत्तात्मक व्यवस्था के चलते हुए महिलाओ को अपने अधिकारों की वास्तविक पूर्ति कभी नही हो पाई थी,और सामाजिक सम्न्धो नियमो को देखते हुए महिलाये अपने हक़ के लिए लड़ने से मर्यादाओं के चलते चुप रहती है,महिलाओ को रोजगार के क्षेत्रो मे अभी भी अनेक कठिनाइयो से दो चार होना पड़ता है क्योकि वर्तमान कार्य्संस्कृति पुरुषो को दृष्टिगत रखते हुए बनाईं गई है,जबकि आज सेना से लेकर बस मे ड्राइवर कंडक्टर तक के कार्य महिलाये करे रही है,गृहिणी के रूप मे भी महिलाओ की भूमिका अब बदल चुकी है और कुछ न कुछ पार्ट टाइम कार्य वे करे रही है,जहीर है कुछ परम्परा से बंधे हुए लोगो को महिलाओ की ने भूमिका मे आने से एतराज होगा ही,

छत्तीसगढ़ की महिलाओ पर केंद्रित पत्रिका

छत्तीसगढ़ की महिलाओ पर केंद्रित पत्रिका मे आपका अवगत है। नारीयो पर केंद्रित इस पत्रिका मे महिलाई की रूचि के अनुरूप सामग्रियों का प्रकाशन किया जाएगा,

भारतीय नारी

चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी