बुधवार, 11 जून 2008

संसद के द्वार मे महिलाये

हाल ही मे संसद के राज्यसभा मे प्रस्तुत महिला आरक्षण विधेयक से निःसंदेह महिलाओ को संसद के द्वार तक पहुचने मे सफलता मिलेगी,आधी से अधिक आबादी के प्रतिनिधित्व के लिए यह जरुरी भी था,पित्रसत्तात्मक व्यवस्था के चलते हुए महिलाओ को अपने अधिकारों की वास्तविक पूर्ति कभी नही हो पाई थी,और सामाजिक सम्न्धो नियमो को देखते हुए महिलाये अपने हक़ के लिए लड़ने से मर्यादाओं के चलते चुप रहती है,महिलाओ को रोजगार के क्षेत्रो मे अभी भी अनेक कठिनाइयो से दो चार होना पड़ता है क्योकि वर्तमान कार्य्संस्कृति पुरुषो को दृष्टिगत रखते हुए बनाईं गई है,जबकि आज सेना से लेकर बस मे ड्राइवर कंडक्टर तक के कार्य महिलाये करे रही है,गृहिणी के रूप मे भी महिलाओ की भूमिका अब बदल चुकी है और कुछ न कुछ पार्ट टाइम कार्य वे करे रही है,जहीर है कुछ परम्परा से बंधे हुए लोगो को महिलाओ की ने भूमिका मे आने से एतराज होगा ही,

5 टिप्‍पणियां:

Amit K Sagar ने कहा…

आपका लेख पढा, अच्छा लगा. ज़रा इधर भी पढ़ लीजियेगा. शुभकामनायें.
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उल्टा तीर
http://ultateer.blogspot.com

36solutions ने कहा…

छत्तीसगढ से आपके आगाज का स्‍वागत है ।


आप नारियों के सामूहिक ब्लाग से भी जुडें और हिन्दी ब्लाग जगत में छत्तीसगढ का प्रतिनिधित्व करें ।



आरंभ

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

सही कहा आपने।
अब तो इन्तेहा हो गयी है। अब तो संसद में महिला बिल पास होना ही चाहिए।
और हां एक निवेदन, कृपया कमेंट बॉक्स से वर्ड वेरीफिकेशन हटा दें, इससे इरीटेशन होती है।

admin ने कहा…

सही कहा आपने, महिला बिल तो बस मजाक बन कर रह गया है।
और हाँ एक निवेदन, कृपया कमेंट बॉक्स से वर्ड वेरीफिकेशन हटा दें, इससे इरीटेशन होता है।

आशीष कुमार 'अंशु' ने कहा…

बहुत खूब.

आपकी बात से कुछ हद तक सहमत